लोकदेवता बाबा रामदेव जी का जीवन परिचय | Baba Ramdev ji biography in Hindi -2023

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बाबा रामदेव जी की जीवनी हिंदी में , Biography



राजस्थान और गुजरात में बहुत से लोकदेवता ऐसे है जिन्होंने अपने पूरा जीवन समाज के कल्याण और सुख में लगा दिया और चूं की वे  सभी भगवान् के अवतार थे तो सभी बहुत प्रशिद्ध थे यहाँ पर लेकिन आज हम बात करने वाले है राजथान और गुजरात में और भारत के और शहरों में पूजे जाने वाले लोकदेवता बाबा रामदेव जी के बारे में  इनके जीवन के बारे में तो चलिए शुरू करते है अज के टाइटल के साथ जो है लोक देवता बाबा रामदेवजी का जीवन परिचय  |


table of content (toc)

बाबा रामदेवजी का जीवन परिचय 

 




नाम - 

रामदेव जी , रामसा पीर ., रुनिचा रा धनि , रुनिचा रा श्याम और भी कई नामो से इन्हें जाना जाता है |

पिता -

तंवर वंशिये ठाकुर अजमल जी 

माता -

मेनादे 


बहन -

सुगना देवी , डाली बाई ,

जन्म - 

भाद्रपद शुक्ल द्वितीय वि .स . १४०९

जन्म वाली जगह 

रुणिचा 


समाधी -

रुणिचा के राम सरोवर के किनारे जीवित समाधी ली थी \

इनके गुरु का नाम -

बाली नाथ |

इनका प्रतिक चिह्न -

पगलिया |



इनका उतरिधिकारी -

अजमल जी 

इन की पत्नी का नाम

- नेतल दे  ( जो की अमर कोट की रहने वाली थी और सोढा राजपूत दले सिंह की बेटी थी )

राज घराना 

- तोमर वंशीय राजपूत |

वंशज -

अर्जुन के माने जाते है |

धर्म 

- हिन्दू |

इनके म्रत्यु -

वि . स. १४४२ |

म्रत्यु -स्थान -

रामदेवरा |


इसके अलावा इसे भी देखे - गो स्वामी तुलसी दास जी का जीवन परिचय |

लोक देवता बाबा राम देव जी के बारे में जानकारी |


दोस्तों लोक देवत बाबा राम देव जी के बारे में हम जितना भी कहे उतना कम है क्यों की ये भगवान् विष्णु के अवतार थे और इन्होने जो समाज के लिए किया है ऐसा किसी ने नहीं क्या है शायद इसी कारण इन्हें राजथान के साथ - साथ सम्पूर्ण भारत में जेसे की महा राष्ट्र , गुजरात , उत्तरप्रदेश , पंजाब , और कई जगह इन्हें पूजा जाता है और इन्सी कारण  इन्हें बहुत से नामो से जेसे की रामसा पीर , रामदेव जी , रुणिचा रा धनि , और भी कई नामो से जाना जाता है , इन्होने समाज में सभी को एक जेसा माना और जो चीज समाज के खिलाफ हो उन्हें कभी स्वीकार नहीं किया , इसके अलावा वे अपनी वीरता के लिए भी जाने जाते थे , और अपनी वीरता और समाज के लिए जो काम किया है इसी के कारण पूज्य रहे है |


बाबा रामदेव जी वेसे तो भगवान् क्रिशन जी के अवतार माने जाते है लेकिन मुस्लिम लोग उन्हें ‘’राम सा पीर के रूप में जानते है ‘’ और इनकी पूजा करते है ! और इनके एक छोटे भाई वीरमदेव भी थे जिन्हें बलराम जी के अवतार मानते है , आपकी जान कारी के लिए बता दू की कमादिया पंथ रामदेव जी से ही आरम्भ हुआ था इनके गुरु का नाम बालिनाथ था ! ऐसी मान्यता है की रामदेव जी बचपन में ही पोकरण में बालिनाथ जी के पास रहकर तांत्रिक भैरव राक्षस का वध किया था , और उसका आतंक समाप्त किया था ! और आपकी जानकारी के लिए बता दू की रामदेवरा में स्थित राम सरोवर का निर्माण भगवन रामदेव जी ने ही करवाया था !


रामदेवरा (रुणिचा) ramdevara (runicha )


ramdevra   में इनका एक बहुत बड़ा मंदिर भी है जहा भाद्रपद की शुक्ल द्वितीय को एक विशाल मेले का आयोजन होता है ,  और यहाँ पूरी श्रधा के साथ लोग आते है और अपनी मनोकामना पूरी होने की इच्छा जताते है | एक  तरफ यहाँ हिन्दू लोगो का स्थान है तो यहाँ मुस्लिम लोग भी यहाँ आते है जो की और कही नहीं देखने को मिलता है , और भाद्रपद द्वितीय को जन्म उत्सव मनाया जाता है और दशमी को समाधी उत्सव मनाया जाता है , और इसके अलावा भी इस मेले में कामड़ जाति की औरतो द्वारा किया जाते वाला नृत्य भी बहुत शानदार होता है , वे तेरहताली नृत्य करते है ,  इसके अलावा इनके और भी मंदिर है जेसे की जोधपुर की मंसुरिया पहाड़ी पर , ब्यावर अजमेर में , सुरताखेदा चित्तोर गढ़ में जहा इनके मेले भरते है इसके अलावा इनका एक छोटा मंदिर गुजरात में भी है |


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बाबा रामदेव जी का बचपन ( childhood of baba ramdev ji )


हिन्दुओ के लिए बाबा रामदेव जी और मुस्लिमो के लिए रामसा पीर कहे जाने वाले बाबा रामदेव जी ने अवतार लेकर कई चमत्कार दिखाए है और ऐसे कई काम किये है जिसके कारण कोई भी इंसान इन्हें साधारण इंसान नहीं कह सकता है चमत्कारी बाबा रामदेव जी के इन्ही चमत्कारों को लोग २४ पर्चे भी कहते है | जिसमे अपना पहला परचा अपनी माँ को झुला झुलाते समय दिया था , ऐसे भगवान् राम सा पीर थे जो  की छुआछुत और कट्टर पंथी के सख्त खिलाफ थे , जय बाबा रामदेव जी पोकरण राज वाड़े में जन्मे लेकिन शासक नहीं बनके समाज के कल्याण में अपना जीवन दे दिया , और जन सेवक के रु में कई महँ काम किये जो की एक इंसान नहीं कर सकता | इनकेऐसे लोगो से सख्त नफ़रत थी जो की जाति  में भेदभाव रखते थे और इसकी का एक उधाहरण इन्होने दलित लड़की डालीबाई को अपनी धरम बहन मानकर दिया और उन्हें अपने से ज्यादा सम्मान देते थे  ऐसे लोगो को मेरा शत - शत नमन !जय हो बाबा राम सा पीर की |



कहा जाता है की उनकी धरम बहद डाली बाई इन्हें एक डाली पर मिली थी और इन्होने जन डालीबाई को देखा तो तुरंत डालीबाई को शरण दी | यहाँ तक की जब बाबा राम देव जी समाधी लेने क्लागे तो डाली बाई उनके आगे आ गयी , और जब वे नाह माने तो दोनों ने ने साथ ही में समाधी ले ली | और बाबा राम सा पीर की के पास में ही डाली बाई की समाधी है , हिन्दू - मुस्लिम दोनों को एक समान मानने के कारण आज उन्हें दोनों धर्म के लोग मानते है और उनकी पूजा करते है |


बाबा रामदेव जी की बाल लीलाए ( baba ramdev ji ki baal lila )

१.

   Awataari पुरुष बाबा रामदेव जी की लीलाए तो बचपन से ही शुरू हो गयी थी जब इन्होने जन्म के समय पैरो के निशान छोड़ दिए थे ,और जन्म के समय ही मंदिरों में घंटिया  बजनी शुरू हो गयी थी , और महल के रखे जल के बरता दूध में बदल गए , आकाश वाणी होने लगी | 

२. इसके अलावा एक दिन जब माता मेनादे झुला झुलाते समय दूध उफनने लगा ओ उनके एक इशारे पर दूध जंम  गया और वही का वही रह गया |


३. एक बार की बात है जब बचपन में बाबा रामदेव जी कपडे का घोडा बनवाने की जिद पर अड़ जाते है , और जिसके कारण उनके पिटा जी अजमाल जी ने दरजी को कपडे का घोडा बनाने को कहा , और जब बाबा रामदेव जी उस कपडे के घोड़े पर बेटे तो वह घोडा आकाश में उड़ गया | 


४. खेलते - खेलते बाबा रामदेव जी के द्वारा भेवर नाथ का वध करने जेसे बहुत से चमत्कारी पर्चे इन्होने अपनी जिन्दगी में दिए और बहुत कम उम्र में ये पर्चे देख लोगो का दिल जीत लिया |


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बाबा रामदेव जी के द्वारा भेरव नाथ का वध ( baba ramdev  ji ke dwara bhairav nath ji ka wadh )

Yaa फिर शायद हो सकता है की इनका अवतार लेना भी भैरव राक्षस का का बढ़ता अपराध भी हो सकताहै क्यों की उस समय भैरव नाथ का लोगो में बहुत आतंक था , भैरव नाथ आस - पास कही की किसी जानवर और इंसान को देखता तो तुरन ही उसे खा जाता ,इसे वह के लोग बहुत परेशांन हो गए थे , रामदेव की की काठ के अनुशार बचपन में एक दिन गेंद खेलते समय मुनि बालक नाथ की कुटिया तक पहुँच जाते है |


और तभी भैरव राक्षस वहा आ जाता है मुनि बालकनाथ जी रामदेव जी को एक गुदड़ी में छुपाने की कोशिश करते है लेकिन भैरव नाथ  उन्हें देख लेता है और उस्गुदादी के पास जाता है और उसे खीचने लगता है , और वही शे शुरू होता है एक चमत्कार और गुदड़ी द्रौपदी की साडी एक जेसे गुदड़ी बहुत लम्बी होती चली जाती  है |


और जब भैरव नाथ भागने को कोशिश करता है  तब रामसा पीरअपने घोड़े पर बेठ कर  उसका पीछा कर वध कर देते है  और जनता को उनके आतंक के मुक्ति दिला देते है और इस तरह उनका काम पूरा होता है |



एक तरफ लोगो की माने तो बाबा रामदेव जी में उसे मारकर पहाड़ी में दफ़न कर दिया तो दूसरी तरफ लोगो की आने दो बाबा रामदेव जी में भैरव नाथ को माफ़ कर दिया और वापस यहाँ न आने का वचन दिलाकर जेसलमेर से दूर कर दिया और जनता को मुक्ति दिलाते है | और इस तरह मायावी राक्षसी शक्तियों से अपने लोगो मो मुक्ति दिलाते है |


बाबा रामदेव जी का विवाह (  marriage of baba ramdev ji )


सावत सन १४२६ को बाबा रामदेव जी का विवाह अमरकोट जो की अभी पाकिस्तान में है वह सोढा राजपूत रजा दले सिंह की बेटी जो की एक पांगली ( यानी की दोनों पैरो से असक्षम )  और उनका नाम नेताल्दे था उनके साथ विवाह हु आ |  

 नेटल दे जन्म से ही विलंग थी और कही भी चल फिर नहीं सकती थी , लेकिन भगवान् श्री क्रिशन अवतारी बाबा रामदेव जी ने रुखमणि( नैतल दे ) को वचन दिया था , और फिर हुआ भी ऐसा ही की बाबा रामदेव जी ने बाद में नेतलदेय नाम की कन्या से विवाह किया | शादी के समय जब नेतल दे जी को बेसाखियो के सहारे लाया गया तो बाबा रामदेव जी ने उन्हें हाथ पकड़ कर खड़ा कर दिया | और उस तरह बाबा रामदेव जी ने एक और प्रमाण दिया की वे कोई साधारण आदमी नहीं है |


और फिर जब बात आती है बाबा रामदेव जी और उनकी पत्नी नेतल दे अपने गांव रामदेवरा आई तो उनकी बहन सुगना देवी उन्हें तिलक नहीं लगाने आई और जब इस का कारण पूछा गया तो उन्हें बताया गया की उनकी चचेरी बहन सुगना देवी के बेटे को सर्प द्वारा डस लिया गया है | 



बाबा रामदेव जी के पर्चे (२४ ) baba ramdev ‘s 24 miracles in hindi )


Baba ramdev द्वारा अपने जीवन में २४ ऐसे पर्चे दिखाए जिन्हें उनके भक्त आज भी याद करते है  और भजन में कहते है | इन्होने अपना पहला चमत्कार अपनी माँ मेनादे जी को दिया था जब वे दूध को संभाल रही थी और बाबा रामदेव जी ने सिर्फ एक हाथ कर उस दूध को नीचे गिरने से बचा लिया था | फिर दर्जी का घोडा उड़ना भी एक चमत्कार ही था , भैरव राक्षस को मारना , सेठ बोहित राज की नाव डूबने से बचाना , लक्खी बिन्ज्जारे को दिया हुआ परचा , रानी नेतल दे को दिया हुआ परचा , अपनी बहन को दिया हुआ परचा , पांच पिरो वाला परचा | और इसी तरह इन्होने अपने जीवन में कुल २४ पर्चे दिए थे |



अगर दोस्तों आपको उन सभी पर्चो के बारे में जानना है तो मुझे कमेन्ट कर जरुर बताना |

बाबा रामदेव द्वारा ली गई समाधी ( baba ramdev ji samadhi )

केवल ३३ साल की उम्र में चमत्कारी पुरुष बाबा रामदेव जी ने आखिर में समाधी लेने का फेसला किया और अपने द्वारा रुणिचा को एक सही स्थान चुना और फिर वह उनकी समाधी बनाने का आदेश दिया | लेकिन उसी समय उनकी बहन डाली बाई आ पहुंची और उन्हें रोकने का प्रया स करने लगी लेकिन बाबा रामदेव जी ने उनकी एक ना सुनी और फिर और फिर दोनों ने उसी जगह साथ में ही समाधी ले ली | आपको जानकारी के लिए बता दू की उनकी समाधी बाबा रामसा पीर के पास की खुदवाई गई और हाथ में श्री फल और गाँव वालो ने आशीर्वाद लेकर दोनों समाधी में बेठ गए | और फिर बाबा रामदेव जी जय कारे के साथ सदा अपने भक्तो के साथ रहने की बात कह कर अंतर्ध्यान हो गए और सदा के लिए वह समाधी ले  ली |


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बाबा रामदेव जी का रामदेवरा मेला $जन्म स्थान


आज बाबा रामदेव जी के नाम से हर साल रामदेवरा में मेला लगता है और उनके द्वारा बसाए गए गाँव में हर साल उनके भक्त उनके पास आते है , बाबा रामदेव जी का जन्म भादवा में शुक्ल पक्ष में  एकादशी के दिन हुआ था , और भादवा की सुदी बीज को हर साल रामदेवरा में एक विशाल मेला भरता है | लाखों की संख्या में भक्त वह आते है , और वहा हर साल भंडारे का भी आयोजन होता है , लगभग तिन महीने चलने वाले मेले में लाखों की संख्या में और हर धर्म के लोग यहाँ आते है , और उनके दुःख दर्द भी दूर होते है , बाबा रामदेव जी का जन्म स्थान उन्डू कासमीर है जो की बाड़मेर में है , और वह बाबा रामदेव जी का विशाल मंदिर भी है , 


पीर बाबा रामदेव जी (peer baba Ramdev ji ) 

Peer baba ramdev ji का प्रतिक चिहन को एक आले में उनके पैर  बना कर हर घर में उनकी पूजा होती है , इनके मेघवाल समाज के ख़ास लोग है जिन्हें रखिया कहा जाता है , रामसा पीर को उनके भक्त सफ़ेद या फिर ५ रंगों वाली द्व्जा चडाते है , जब इनका जन्म हुआ था भक्त उन दिन को बाबा रामदेव जयंती के नाम से जानते है , और उनके चमत्कारों को भक्त लोग पर्चे के रूप में जानते है | उनके मंदिर को देवरा या फिर देवल के नाम से जाना जाता है | 



इसी के साथ ही उनके द्वारा रचित चोबीस बनियाँ , आज भी प्रशिद है | बाबा रामदेव जी के नाम पर भाद्रपद द्वितीय और एकादसी के दिन उनके नाम पर जागरण होता है , जिसे लोग ‘जम्मा ‘ कहते है | और वे भी मेघवाल यानी की रखिया ही करते है |



डाली बाई जी भक्त ( उनकी धर्म बहन )

डाली बाई जो की बाबा रामदेव जी की धर्म बहन थी वे भी उनकी परम भक्त थी , और इन्होने बाबा रामदेव जी के साथ ही जीवन समाधी ले ली थी , 



बाबा रामदेव जी की पीरो को परचा देना _


एक बार की बात है जब मक्का एक ५ peer जेसलमेर घुमने आये थे और उनके भूख लग गई , जिस कारण वे भोजन की तलाश करने लगे उसी समय उन्हें बाबा रामदेव जी का घर दिखा और वे तुरंत वही चल दिए और भोजन की मांग करने लगे और जब बाबा रामदेव जी ने उन्हें भोजन करने की व्यवस्था की तब उनके सामने एक रुकावट आ गई की वे सिर्फ अपने कटोरे में ही खाना खाते है और वे उस समय मक्का में ही थे उस बात को लेकर सभी पीर नाराज़ हो गए लेकिन बाबा रामदेव जी तो भगवान् के अवतार थे और वे कभी भी किसी को भीखा नहीं देख सकते थे इसी लिए उन्होंने  अपनी शक्ति से उनके कटोरे मक्का से जैसलमेर ला दिए और वो भू हवा में उड़ाते हुए , यह देख सभी peer बहुत हैरान हो गए क्यों की आज उस समय उन्हें सामने भगवान जी के दर्शन हो गए थे, तब उन्होंने कहा की ‘’    ‘महे तो सिर्फ पीर हाँ और थे पीरों का पीर बाबा रामदेव जी  ! 




यानी की हे भगवन है तो पीर ही है लेकिन आप तो पीरो के पीर पीर रामदेव सा पीर है यानी की वे लोग उन्हें भगवान् मानने लगे और खुसी - खुसी वहा से चल दिए | 



जिस तरह हिन्दू लोग बाबा रामदेव जी की पूजा करते है ठीक उसी तरह मुस्लिम भी इसी तरह उनकी पूजा आज भी करते है वो सब इसी चमत्कार के कारण हुआ है , और आपको पता हो तो शायद ही ऐसे भगवान् है जिनकी पूजा कोई मुस्लिम करता है और उन्हें मानता है |



बाबा रामदेव जी की चूरमा , नारियल , मिठाई , दूध , धुप , आदि से इनकी पूजा होती है | बाब रामदेव जी की पड़ खास कर जैसलमेर , और बाड़मेर में बांची जाती है , और इनके भक्त कभी भी इनकी झूठी सोगंध नहीं खाते है  , और इसी के साथ ही इन्होने गू को अपने जीवन में बहुत बड़ा स्थान दिया था और इनका कहना था की गुरु ही हमें भवसागर से पर उतार सकते है इसलिए कभी अपने गुरु का अपमान नहीं करना चाहिए |


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बाबा रामदेवजी के भजन ( baba ramdev ji ke bhajan download )

 तर्ज तेरे मेरे बिच कैसा हैं बंधन अजाना
माया और लोभ के बिच फंसा हैं मन मेरा
पल का हैं डेरा,कुछ नही तेरा
मन के मते जो चाले,दुःख वो पावे
,मन की गति को कोई समझ ना पावे,
मन चंचल हैं मन चिकोरा
प्रभु को पुकारो मन से,वो दोड़ा चला आवे,
भक्तो की खातिर वो तो, नगे पाँव आवे,
भक्ति में बल हैं घनेरा, पल का हैं डेरा
माया का चक्कर ऐसा मन फास्ता ही जावे
विषयों में मानव तन,रमा चला जावे,
विषयों में पाप का बसेरा, पल का हैं डेरा,
मन के खजाने में माया ही तो माया.
समझे पुष्प तो सब कुछ पाया
मन में बसा प्रभु तेरा पल का हैं डेरा


तर्ज हिवडे से दूर मती जाय..

म्हारो करसी बेडो पार बाबा रामधणी,

बाबो हैं बड़ो हैं दातार रामधणी स्थायी ||

थाकमन्दिरजावां, थाकी पूजा करा, थाकछपन्न भोगलगावा

हो बाबा थारे छपन्न भोग लगावां,

तू दयालु हैं बाबा, तू कर सबका उपकार ||बाबा|

घर-घर में जावां थारो कीर्तन करा, दिन रात धने मह ध्यावा |

हो बाबा दिन रात थने महे ध्यावा

मन इच्छा फल देने वाला, थारी जय-जयकार बाबा ||

थांको त्याग बड़ो,थारो रूप भलो, पल-पल में थाने निरखा,

हो बाबा पल-पल में थान निरखा…

रणुचे में बैठ्या बाबो पुरो रूप निखार

थान देख्या बिना, थान निरख्या बिना म्हाने चैन नही तो आव

हां बाबा म्हान चैन नही तो आव…

अट्क्या कारज पूरा करजो, प्रेमजी करे पुकार ||


तर्ज कौन दिशा में लेके चला बटोरिया

घर-घर बाबा थारी ज्योत जगाये,

हमें तेरे गुण गावे,तेरे मन्दिर जाये-

बाबा दर्शन दौ||घर-घर||

ओ बाबा इतना बता,क्या हमारा है दोष रे

हम बालक नादान है,हम सभी निर्दोष रे

दया द्रष्टि तो कर दो दयालु,कर सबका कल्याण रे|1||

तन मन धन अर्पण करे, पूजा करे सुबह शाम रे

ध्यान तुम्हारा हम धरे, लेकर तुम्हारा नाम रे,

पूजा का विधि हम ना जाने, कैसे करे अभिशेक रे,

पूजा किस घर तेरी होवे वो घर हो आबाद रे,

विपदा उसकी सब मिटे, हो सुंदर ओलाद रे,

कमी किसी की ना रहे उस घर, भरे रहे भंडार रे,

तेरे दर पे आए हैं कर हमारा उपकार रे,

मन की मुरादे पूरी कर दे सपने साकार रे,

पुष्प गान से करते वंदना, वाणी जपे तेरा नाम रे||


अजमल जी रा जाया रे, कंवरा रामदे,

थे तो कियो कियो रुनिचे वास, पीर अवतारी रे..

भेरुड़ा ना मारयों, कवरा रामदे…

सारी प्रजा करे जैकार, पीर अवतारी रे…

बनिया ने तारयो जी कवरा रामदे,

डूबतड़ी तिराई थे तो जहाज, पीर अवतारी रे…

बिंजारा ने परस्यो, रे कंवर रामदे…

मिश्री री बनाई थे लूण, पीर अवतारी रे..

महिमा थारी भारी रे,कंवरा रामदे,

भक्तो ने थारो ही आधार, पीर अवतारी रे…


दोहा- मारग लियो अंजार को, श्री पथ रथ ललकार |

ठीक दुपेहरो माहे रो, भरनो आज अंजार ||


पद- राग सोरठ

थोड़ा धीमा हां को जी, नंद कुमार… | देर ||

रथ थारो कड़के, हियो म्हारो धड़के टूटे छे जी हिवड़ा रो हार

गावतडारा म्हारा कंठ जो धूजे, हचका तो लागे छे अपार

ऐसा हाक्या हरी जास्यां में पाली, आवो थारी रथड़ा री लार

पाली पाली चाली सांवला मंगला गास्यो पहुयो तुरंत अंजार


दोहा-

राधा राणी अरज करे सुण श्याम |

थोड़ा धीमा हाकता, थारे के लागे दाम ||

सुण राधा रुक्मणी, नरसी करे विलाप |

अवसर पर पुं हीं, लागे भगतशराप ||


साधू भाई पाखंड में कुछ नाहि |

पाखंडी पर पड़ ले जासी, पड़े चौरासी माई रे साधु भाई ||

बिना पाँव पंछी उड़ जावे, बिना चांच चुगजावे |

हजार कोस की खबर मगावे, तो भी मानु नाहि रे,

जा बैठे अग्नि रे माई ने जलता दिसे नाही |

पैर खड़ाऊ जल पर चाले, तो भी मानु नाहि रे,

गुफा खोदे अंदर जाय बैठा, ध्यान धरे मन माही |

काया पलट कर सिंह हो जावे, तो भी मानु नाहि रे ||

मच्चिदर प्रताप जाति गोरख बोले, देव दर्शन दिल माही |

तीन लोक से हो जा न्यारा, तेरी जन्म मरण मिटजाई रे,


जीते लकड़ी मरते लकड़ी, देख तमाशा लकड़ी का

दुनिया वालों तुम्हे सुनाये, ये बासा हैं लकड़ी का |

जब जन्म लिया था तुमने, पलग बिछा था लकड़ी का ||

माता तुम्हारी लोरी गाती, वो पलना था लकड़ी का ||

फिर चलना सीखा पकड़-पकड़ कर, हाथ में घोड़ा लकड़ी का

गया खेलन हाथ में लेकर, गिल्ली डंडा लकड़ी का ||

फिर पढने गया स्कुल तो, पकड़ी कलम लकड़ी का

और मास्टर ने भी डर दिखलाया, वो डंडा था लकड़ी का ||

फिर गया शादी करने को जिसमे वो रेल का डिब्बा था लकड़ी का


सास ससुर ने भी बिठलाया, वो बावजट था लकड़ी का ||

लग्न किया जब चिंता लगी, लूण तेल और लकड़ककी का

और जब बुड्ढा हुआ तब लिया हाथ में, ये ही सहारा लकड़ी का ||

उड़ गया पंछी डल गईं काया, चिता बनाया लकड़ी का

जिस काय को पल में जलाई, वो ढेर बना था लकड़ी का ||

तो मरते तक मिटाया नही, मुर्ख झगड़ा झगड़ो लकड़ी का

नाम प्रभु का ह्रदय बसा लो मिट जाय झगड़ा लकड़ी का ||




बाबा रामदेव जी के प्रमुख ग्रन्थ (baba ramdev ji major books )

बाबा रामदेव जी का ब्यावला (पूनमचंद द्वारा रचित), श्री रामदेवजी चरित (ठाकुर रुद्र सिंह तोमर), श्रीरामदेव प्रकाश (पुरोहित रामसिंह), रामसापीर अवतार लीला (ब्राह्मण गौरीदासात्मक) एवं श्रीरामदेवजी री वेलि (हरजी भाटी) आदि इन पर लिखे प्रमुख ग्रंथ है !



FaQ-


1. बाबा रामदेव जी की पत्नी का क्या नाम था ?

Ans- नेतल दे 


२. बाबा रामदेव जी का मेला कब भरता है ?

Ans - भाद्र्पद की शुक्ल दूज को रुणिचा में एक विशाल मेला भरता है |


३. बाबा रामदेव जी के पिता का क्या नाम था ?

Ans- राजा  अजमल जी 


४. बाबा रामदेव जी ने अपने जीवन में कितने चमत्कार दिखाए थे ?

Ans- कुल 24 चमत्कार 


५. बाबा रामदेव जी की जयंती कब है ?

Ans - वैसे तो ५ sept को लेकिन हिन्दू के केलंडर के अनुसार भाद्रपद की शुक्ल दूज  को 


६. बाबा रामदेव जी के कितने भाई बहन थे ?

Ans- बाबा रामदेव जी के एक बहन सुगना , भाई विराम देव जी , और एक मुह बोली बहन डाली बाई |


७. बाबा रामदेव जी के गुरु का क्या नाम था ?

Ans- बाली नाथ जी 


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